सुनहरी धूप 5 पाठ - 4 (लहरों का गीत)

 

lahro-ka-geet

2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दो-

मौखिक

क) बालिका माॅं से किस के गाने की बात कह रही है?
बालिका माॅं से लहरों के गाने की बात कह रही है।

ख) लहरें तट पर आकर क्या करती हैं?
लहरें तट पर आकर हॅंस-हॅंसकर अपनी बात कहती हैं।

ग) लहरी नभ से किसे उतार लाई हैं और क्यों?
लहरें नभ से शशि को उतार लाई हैं। वे उसे अपने साथ खिलाना चाहती हैं।

घ) लहरों ने क्या सीखा है?
लहरों ने जीवन भर निरंतर आगे बढ़ना सीखा है।

लिखित -

क) लहरें कैसे स्वरों में गीत सुना रही हैं?
लहरें कल-कल छल-छल के मधुर स्वरों में गीत सुना रही हैं।

ख) बालिका ने लहरों को क्या करते देखा?
बालिका ने लहरों को मचलते और उछलते हुए देखा।

ग) लहरें चंद्रमा के साथ कैसे खेल रही हैं?
लहरें चंद्रमा को धीमे-धीमे जल के झूले पर झूला रही हैं और खेल रही हैं।

घ) लहरें हॅंस-हॅंसकर क्या कहती हैं?
लहरें हॅंस-हॅंसकर कहती हैं कि अपने जीवन पथ पर आगे बढ़ते जाओ।

ड.) जीवन में बिना रुके आगे बढ़ना क्यों जरूरी है?
जीवन में बिना रुके आगे बढ़ना इसलिए जरूरी है क्योंकि रुक जाने या ठहर जाने से व्यक्ति की प्रगति भी रुक जाती है । अतः जीवन में आगे बढ़ते रहना बहुत जरूरी है।




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