शीर्षक- औरत
ईश्वर की अद्वितीया कृति
तुम एक नारी हो
ईश्वर की अनमोल संरचना
खुद में एक शक्ति हो
घर आंगन को महाकाने वाली
ऊषा की उजली किरण हो
कन्या से स्त्री बनकर हर
जिम्मेदारी निभाती हो
तुम एक बेटी ,बहन, करुणा ,ममता और
त्याग की प्रतिमूरत एक माँ भी हो
पूर्ण करती एक पुरुष को
एक अर्द्धांगिनी भी हो
तुम आस्था ,विश्वास के साथ
जीवन की आस हो
तुम परम्परा और प्रथा के साथ
संस्कारों का ज्ञान हो
तुम कोश हो खुशियों का
परिवार का आधार हो
दुनिया सोती जब अमन चैन से
तब तुम प्रभात में जगती हो
हिम्मत को अपना साथी बना
कठिन डगर को आसान कर लेती हो
परिवार का पालन करने को
अपनी इच्छाओ का दमन करती हो
नारी तुम श्रद्धा प्यार और विश्वास हो
रामायण की सीता और दुर्गा का अवतार हो
स्व रचित कविता
मीनू सरदाना (शिक्षिका )
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 2021: जाने कब और क्यों मनाया जाता है? और क्या है 2021 की थीम ?
==================================================================
शीर्षक- निःशब्द
आधा म् जब लिखता हूँ
तब जीवन आधा लगता है।
म् में जब मैं अ जोडूँ तो
म वर्ण पूर्ण होते ही
म से बनते शब्द कई
जेहन में मेरे आते हैं।।
म में ही गर आ जोडूँ तो
ऐसे शब्द निकल आते हैं
जिनके अंत में आ आए तो-
पहला शब्द ही मात-पिता बन आता है।
म और त में आ जुड़ने से ही
उपरोक्त शब्द बन पाता हेै।
मा पर लगती चंद्र बिंदु अंचल बन जाती है।
यही तो हेै वह बिंदी जो अमर सुहाग बन जाती हेै।
जब भी लिखना चाहूँ मैं छोटे से छोटा अर्थपूर्ण
कलम हमेशा 'मॉं' पर आकर निःशब्द हो जाती हेै।।
स्वरचित- गोविन्द पाण्डेय।
===========================================================
शीर्षक- जीवन पथ आसान नही होगा
ये जीवन पथ नही आसान
काँटो भरी राह होगी
हौंसला रख और चलती चल
तभी मंजिल हांसिल होगी
परमात्मा पर रख विश्वास
तभी जीवन ख़ास बनेगा
पथ-पथ पर चाहे बिछे हो शूल
कर्त्तव्य पथ पर बढना होगा
चाहे हालात हो कितने प्रतिकूल
कदम से कदम बढ़ाना होगा
कर पुरुषार्थ रख इच्छा प्रबल
मरुस्थल से भी जल निकलेगा
बदल सोच और आगे चल
कंटीले राहो पर भी फूल खिलेगा
मान अपमान की छोड़ फिक्र
उन्नत मस्तक कर चलना होगा
हास्य रुदन व्यंग्य बाण कर सहन
पीड़ा में भी पलना होगा
रख मुस्कान और कर हिम्मत
वक्त की करवट बदलना होगा
गिर जाओ गर किसी मुकाम पर
तो गिर कर फिर संभलना होगा
रख सपनों का आसमा ऊँचा
ऊँची उड़ान को भरना होगा
आसमान का सूरज चाहे ढल जाए
उम्मीद को कायम रखना होगा
कर्मण्य वाधिकारस्ते माँ फलेषु कदाचन
को अपना ध्येय बनाना होगा
किस्मत की रेखा में स्वयं
रंगों को भरना होगा
ये जीवन ईश्वर का अनुपम उपहार
अनुशासन से सफल बनाना होगा
कलम को अपना हथियार बना
तकदीर को अपनी बदलना होगा
स्व रचित कविता
मीनू सरदाना (शिक्षिका )
गुडगाव
निम्नलिखित कविताएँ भी पढ़िए -
* इक्कीस है आ रहा * नारी सम्मान
* संस्कृति और परम्पराओं का देश भारत
0 comments:
एक टिप्पणी भेजें
Please donot push any spam here.