हमारे बापू
मनसा वाचा कर्मणा से होते हैं जो एक समान वही कहलाते हैं महान |
गान्धी जी की तो कथनी- करनी भी थी एक समान ,
उनके कर्मो की भी गति थी महान |
दो अक्तूबर का दिन भारत का गौरव है और तिरंगे की है शान|
इस दिन ऐसे युग पुरुष का ,साबरमती के संत का हुआ अवतरण
जिसने रघुपति राघव राजा राम कहते - कहते दुनिया की सोच को दिया बदल |
पहनते थे खादी पर इरादे इनके फोलादी थे |
रुई से सूत बनाते थे चरखा नित्य चलाते थे |
अपनाओ स्वदेशी सबको यही सिखलाते थे |
मानवता के अधिकारों की बात जिसने शांति से कह डाली ,
उनके आगे तो गोरों ने भी हिम्मत भी हार डाली |
सत्य - अहिंसा के पथ पर चल कर आजादी की जिसने मांग रखी थी |
नमक और भारत छोडो आन्दोलन करके अग्रेजो की जडे हिला डाली थी |
कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन का जन-जन को ज्ञान करवाया |
मानव में ही ईश्वर बसता है इसका बापू ने ही बोध करवाया |
जाति धर्म से ऊपर उठकर जिसने जीना हमें सिखाया |
कच्ची मिट्टी के ढेरो को सुन्दर घड़ा बनाया |
धर्म -सत्य और अहिंसा को ही अपना हथियार बनाना |
परिश्रम लगन है सच्चा गहना बापू का था कहना |
सच्चे कर्मवीर और धर्म निरपेक्ष के थे उपासक|
सच्चे राष्ट्र भक्त और सन्मार्ग के प्रचारक |
सदा ऋणी रहेंगे हम बापू के जिसने
निस्वार्थ भाव से निज सर्वस्व कर समर्पित देश को भारत की बनें पहचान |
आँखो पर चश्मा होठों पर मुस्कान दिल में था जिसके हिन्दुस्तान |
ऐसे भारत माँ के वीर सपूत को हम कभी भुला न पाऐगे|
सादा जीवन उच्च विचार को अपना ध्येय बनाएगें |
ईश्वर अल्लाह तेरे नाम सबको सन्मति दे भगवान|
ऐसे राष्ट्रपिता पर आज हम करते हैं अभिमान |
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