हिंदी कविता
मेरा विषय
संस्कृति और परंपराओं का देश भारत ।
पंक्तियां प्रेषित करती हूं।
विस्तृत नभ के तारों में जैसे अनुपम है ध्रुव तारा ।
वैसे विश्व-मानचित्र पर दिनकर हिंदुस्तान हमारा ।।
परम्परा प्राण भारत का संस्कृति की बहती धारा ,
संस्कार-शोभित-सन्तति, स्वर्णिम इतिहास हमारा।
रीति नीति हैं सोन चिरैया, इन्हे असीम उड़ान मिले ,
जय जय कार करो भारत की, देश न हिंदुस्तान मिले।
देखो अतीत के पन्ने, अनेक शूर, वीर, बाहुबली
भेंट चढ़ा निज सुत देशहित, देवी पन्ना धाय चली ।
मात-पिता गुरु के चरणों में ब्रह्मा विष्णु महेश दिखें
हम त्याग-समर्पण, प्रेम-प्रीत, परोपकार संदेश लिखें।
पूजित इतनी माटी इसकी पग-पग पर बलिदान मिले
जय जय कार करो भारत की, देश न हिंदुस्तान मिले।
वेद-ऋचाएं, रामायण, गीता बाइबिल ग्रंथ कुरान
धर्मनिरपेक्ष ऐसे भारत में, पैदा होना है सम्मान ।
विश्व-शांति ध्येय हमारा, अतिथि भी देव कहलाते
गिरि -सरिता अवनि- अंबर पशु - तरु भी पूजे जाते।
विश्व गुरु अपना भारत है, नूतन नव पहचान मिले
जय जय कार करो भारत की, देश न हिंदुस्तान मिले।
भिन्न धर्म के रंग यहाँ, ये त्योहारों का देश
किस्म-किस्म के खान-पान रंग रंगीला भेष
कोस कोस में पानी बदले चार कोस में वाणी
अनेकता में एकता की अनोखी अनूठी यहाँ कहानी
चाहे "वर्षा" देश को अपने, जग में अग्रणी स्थान मिले,
जय जयकार करो भारत की कहीं दूजा ना हिंदुस्तान मिले
वर्षा पांडे
दिल्ली
Id -vershapande@gmail.com
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