कविताएँ
हिंदी गान
जय हो देवनागरी माता।
भारत तेरी शोभा गाता।।
दोहे, चौपाई, छंदों से सजती तेरी क्यारी।
भारत माता की बिंदी हो,तेरी शोभा न्यारी।
अलंकारों से सजती , कवियों की वाणी में फबती।
जन-जन गाए तेरा गान।
दिन-दिन ऊंची तेरी शान।
मान बढ़ाया है भारत का,सकल विश्व में बने पहचान।
अपने इन शब्दों से मैं गाथा तेरी गाऊं।
सकल विश्व बलिहारी हो, और मैं भी तुझपर वारी जाऊं।
प्रशिक्षित स्नातक शिक्षिका हिंदी
केंद्रीय विद्यालय बेली रोड पटना प्रथम पाली।
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मेरे एक मित्र के द्वारा यह कहने पर कि हमारा जो बीता हुआ समय है, उसके बारे में कुछ लिखो। तब मेरी यह रचना तैयार हुई है।
शीर्षक- मुस्कुराहट बनी रहती है
दौर था एक समय का जो आहिस्ता से गुजर गया।
बीता है वक्त लेकिन यादों का दौर ठहर सा गया।
मात-पिता ओ पास-पड़ोस के समाज बाद पहुँचे विद्यालय बनने विद्यार्थी।
फिर कॉलेज का दौर चला कुछ सुनहरे पलों का समय बीता।
इसी दौर में दिलो-जोर में यह वक्त गुज़रा बड़े शोर में।
कब यह मस्तियाँ खत्म हुई कब सामने कैरियर आया?
न जाने कब संघर्ष का हुजूम दिखा न जाने कब सब पार हुआ।
कब परिवार- रिस्ते-नाते बन गए, लगता है जैसे अभी कल ही की बात हो।
इसी तरह गुजर जाएगी उम्र हमारी जगह नई पीढ़ी मुस्कुराएगी।
नई पीढ़ी मुस्कुराएगी।।
पिथौरागढ़, उत्तराखण्ड
शायद आपको भी अपना गुजरा हुआ समय याद आ जाए तो मुस्कुराइए। क्योंकि उम्र के साथ हमारे कार्य भी स्वयं ही तय होते चले जाते हैं
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