दिनांक- 27/09/2020
शीर्षक- बेटी
दिवस मनाए हमने कितने गिनना अब आसान नहीं
बेटी को भी दिवस में बदला यह इतना आसान नहीं।।
बेटी शब्द पर लिखने खातिर लिख डाले ग्रंथ सारे
समझा पर इसका है कोई अब तक सार नहीं।।
बेटी को परिभाषित करने निकले अरे !ओ नादान
शिव को परिभाषित कर सके शब्दों में आसान नहीं।।
शिव जब सृजन करता हेै शक्ति रूप बन जाता है
शिव-शक्ति को अलग बताना भी तो है आसान नहीं।
बेटी को बेटी ही रहने दो शब्दों में न बाँधो
यह स्वयं प्रकृति है हमारे किए की मोहताज नहीं।।
स्वरचित- गोविन्द पाण्डेय, पिथौरागढ़, उत्तराखंड
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