ज़िंदगी / हिंदी कविता

हिंदी कविता 

ज़िंदगी 

इस छोटी सी उम्र में हमने बहुत से तजुर्बे पाए हैं,

फ़लसफ़े रटाये गये सबक़ ज़माने ने सिखाएं हैं।


मुझे अब शिकवा शिक़ायत भी किसी से नहीं पर,

कुछ लोगों ने हमें गुमराह किया कुछ ने सताएं हैं।


मेरे बारे में बाज़ार गर्म है तोहमतों का लेकिन,

मेरी क़ामयाबी ने लोगों को आईने भी दिखाएं हैं।


यूँ तो मुझे कोई शौक नहीं मशहूर होने का लेकिन,

मेरी नेकियाँ मुझे सबके सर आंखों पर बिठाएं हैं।

hindi poem



       




*आशीष कुमार शुक्ला*

स्थान - बस्ती

ईमेल आईडी ashishukla2013@gmail.com

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