बचपन - हिंदी कविता

 


बचपन का हर पल निराला 

बचपन है कुदरत का अनमोल खजाना 

चलो चले बचपन की छाँव में ,सपनों के गाँव में ,

माँ की डाँट पापा का प्यार,

भाई बहन का नटखट व्यवहार,

बिना किस्से कहानी सुने नींद न आना, 

लोरी सुन माँ की गोद में सो जाना 

सबसे सुनहरा पल है ये बचपन 

केवल खेल -खिलौने हैं भाते दोस्तों के संग समय बिताते 

छुपन -छुपाई, पकड़म- पकड़ाई 

कभी गिल्ली- डंडा तो कभी नदी पहाड़, 

वो पतंग बाजी करना जब कट जाए तो दौड़ लगाना, 

वो राजा- मन्त्री-चोर- सिपाही,

वो कागज की कश्ती वो बारिश का पानी| 

वो कैरम की गोटी वो आँख मिचौली,

थर्मामीटर तोड़ पारा निकालना, 

नंबर काम आने पर खुद ही बढ़ा लेना| 

बस खेल खिलौने ही भाते दोस्तों के संग समय बिताते,

फिक्र नही कल की, न किसी से गिला, न किसी से शिकवा करना,

छोटी- छोटी खुशियों में हँसना, जरा सी चोट पर आँसू बहाना|

हर चीज को पाने का हठ करना, 

अपनी ही धरती अपना आसमाँ मान लेना |

अपनी ही दुनिया और खुद को शहजादा समझना  

अपने -पराए का भेद नही नाराज होकर खुद ही मना लेना|

नए वस्त्र पहनने का मन ललचाना 

पुराने कपड़ो को देख नाक -भों सिकोड़ना 

बस खेल-खिलौने ही भाते दोस्तों के संग समय बिताते,

बचपन ही है एक सफर सुनहरा|

बचपन है कुदरत का अनमोल खजाना|

स्व रचित कविता 

मीनू सरदाना (शिक्षिका )

गुरुग्राम  

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