बच्चे होते मन के सच्चे , माँ -बाप के दुलारे बच्चे |
करते इरादे बहुत ही पक्के , धागे नही होते ये कच्चे |
ईश्वर, अल्लाह् , ईसा ,गुरुनानक का रूप हैं इनमें
कितनी सच्चाई होती हैं इनके रूप में ,
न कोई छलकपट होता मन में ,
कच्ची मिटती सा होता है बच्चों का आकार,
सच्चे सांचे में ढले बस यही है दरकार |
बच्चों के मन में बसते हैं सदा भगवान
यदि ये पा गए संस्कार तो देश बन जाएगा महान |
हम भी मिलकर क्यों न बनाए ऐसा संसार ,
विश्व बंधूत्व की भावना हो रहे छलकता सदा प्यार |
कोमल से फूल हैं भारत के खिलते कमल हैं ये बच्चे|
पड़े जरुरत अगर देश को तो पहन ले वीरो का भी वेश ये बच्चे|
मातृ भूमि के लिए करके सर्वस्व बलिदान,
अपनी माँ की रख सकते हैं ऊची शान|
बच्चे हैं कर्णधार कल के भावी भारत की आशा हैं|
इनसे ही बढ़ता संसार हम सब की अभिलाषा हैं|
देश खुशहाल होगा तब
हर कोई बाल दिवस का महत्त्व समझेगा जब
न हो अत्याचार ,अन्याय से भरा इनका जीवन ,
आओ करे प्रतिज्ञा न होने देगें इनका शोषण |
जीवन बहुत अनमोल है इनका यू ही न व्यर्थ जाए |
देश के भविष्य हैं ये शक्तिशाली युग की ताकत बन जाए |
मीनू सरदाना (शिक्षिका )
गुरुग्राम
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