हिंदी कविताएँ

 हिंदी कविताएँ 

चिट्ठी तू कहाँ चली गयी

उस चिट्ठी में
मन के भाव उद्गार करते थे
दुख -सुख बाँचा करते थे
चिट्ठी तू कहाँ चली गयी

प्रेम -बाती लिख-लिख भेजा करते थे
कौए का मुंडेर पर बैठ कर
काँव-काँव करना 
यह बतलाता था
चिट्ठी आएगी ,आएगी 
चिट्ठी आएगी
चिट्ठी तू कहाँ चली गयी

जब चिट्ठी पर 
रंग लाल दिखाई देता था
मन बाग-बाग हो जाता था
चिट्ठी तू कहाँ चली गयी

मायके से आई चिट्ठी से 
मायके जाने के दिन
दीवारों पर लगी लकीरों को
काट-काट कर गिनने में
जो आनंद आता था
वह आनंद 
न जाने कहाँ चला गया
चिट्ठी तू कहाँ चली गयी


सुषमा खन्ना
दिल्ली 
sushma.khanna11@gmail.com

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