हिन्दी कविता – बेटी बचाओ

 हिन्दी कविता – बेटी बचाओ  

अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस (11 अक्टूबर) की हार्दिक शुभकामनाएँ 

ईश्वर की अद्वितीया कृति – बेटी
संस्कारो की जान है ,घर आंगन की शान है, 
Hindi Poem
खुशियो का संसार प्रेम का आधार है बेटी |
सृष्टि की शक्ति है, जगदंबा की प्रति मूरत है बेटी|
श्रद्धा ,विश्वास और जीवन की आस है बेटी|
झाँसी की रानी है तो दुर्गा का अवतार है बेटी|
सीता, सावित्री अनुसूया बन त्याग की मूरत है बेटी |
मीरा ,पन्ना जैसी स्वर्णिम इतिहास लिए देश का गौरव है बेटी|
माँ की जान तो पिता का मान है बेटी|
भाई की कमजोरी तो दादा -दादी के सांसों की डोरी है बेटी|
कड़कती धूप में शीतलता का एहसास है बेटी|
सृष्टि की उत्पत्ति का बीज, नए रिश्तो का आयाम है बेटी|
कभी दुहिता, भगिनी, भार्या तो कभी माता है बेटी |
चंचल, सुखद, मधुर संबन्धों की आभा है बेटी|
बेटी है बेटों से बढ़कर इन्हे कोख में मत मारो ,
मरे हुए जमीर को जगाओ तो शायद ओर नजारा हो |
बिन माँ, पत्नी ,बहन, बेटी, कब घर का गुजारा हो ?
बेटी से तुम, तुमसे बेटी, है बेटी से यह जग सारा ,
कद्र करो लाओ समानता कही न हो जाए जग बंजर सारा | 
जग में न होगी बेटी तो सोचो जन्म कहाँ से पाओगे ?
गर्भ से लेकर यौवन तक न उस पर तलवार लटकाओ |
बेटी रूपी कलियों को खिल जाने दो| 
बन्द करो उन पर अत्याचार ,
उन्हे भी पंख लगाकर उड़ने दो |
कलियों को जो तोड़ोगे तो फूल कहाँ से लाओगे ?
बेटी का कर अपहरण तो ईश्वर को क्या मुख दिखलाओगे ?
नवरात्रि पूजन करने वालो कंजक कहाँ से लाओगे ?
कहाँ गई वह भक्ति जब कन्या को ही मारोगे ?
कालियों को धरती पर आने दो, उनको भी खिलने दो ,
न बनने दो किसी को निर्भया, गुडिया, दामिनि न हाथरस की कन्या |
जगत विजेता हो मानव, न बनो तुम दानव| 
दहेज की मांग में भी न जलाओ एक बेटी ताकि 
न कोई बेटी करे ये फरियाद फिर भगवान से 
कि नही बनना मुझे कन्या; बहुत दर्द होता है |
बेटी की वेदना और व्यथा का करो तुम उपचार, 
देश की बेटी को बस जीने का दो अधिकार |














स्वरचित 
मीनू सरदाना (शिक्षिका)
गुरुग्राम (हरियाणा)

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