2 अक्टूबर : भारत के दो लाल

 2 अक्टूबर - महात्मा गाँधी और लाल बहादुर शास्त्री का जन्मदिन                     
Mahatma Gandhi
महात्मा गांधी 

शीर्षक- हे!राम

अस्थि-माँस का पतला शरीर, विचार थे जिसके बहुत गंभीर।

मोहनदास नाम पिता कमरम चंद था नाम बना पूरा मिलकर ।

स्वतंत्रता के लिए अड़ गया, रखकर धैर्य वह न था अधीर।

बचपन से ही प्रयोगवाद को अपना, सदैव सत्य के साथ चलना।

आजानुभुज ने कर्मभूमि भारत ही नहीं अफ्रिका भी बनाई भी।

आज विश्व में जो भी है गॉंधीवाद, यह इनकी स्वयं की कमाई थी।

गोखले इनके राजनैतिक गुरू कहे जाते हैं।

देश की खातिर जीना-मरना जो हमको सिखलाते हैं

तीस जनवरी को अनायास ही गोडसे भी हमें याद आ जाते हैं।

चली थी गोली गूँजा था इक नाम- हे !राम, हे !राम, हे! ।।

स्वरचित- गोविन्द पाण्डेय, पिथौरागढ़, उत्तराखण्ड

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शीर्षक- शास्त्री के प्रति                         

वाराणसी में जन्मा जो,बचपन संघर्ष में बीता था।

माता ने पाला था इसको, पिता का बचपन में ही देहांत हुआ।

पढ़ने को था गंगा पार जाना, लगता था किराया कुछ आना।

न थे पैसे देने को भी इतने, देता झोला साथियों को अपने।

कद-काठी देखन में छोटी थी, पर मन- मस्तिष्क का मजबूत।

अदम्य साहस, निर्णय क्षमता थी अचूक।

रेलमंत्री पद त्यागा इसने कारण एक हादसा था।

फिर यह बना प्रधानमंत्री तो देश पर

हुआ पाक हमला था।

सेना पहुँची थी लाहौर, पर न कोई गुमान था।

अमरिका का गेहूँ देख यह बोला था

स्थाभिमान की मौत हेै प्यारी भीख न राशन खाएँगे।

हफ्ते में एक दिन ब्रत और एक दिन होटल बंद रहेंगे।

जय जवान-जय किसान विश्वभर में गूँजा था।

ताशकंद में लाल यह भारत माँ का अज्ञात मृत्यु में खोया था।











स्वरचित- गोविन्द पाण्डेय, पिथौरागढ़, उत्तराखण्ड


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