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एक समय की बात है। एक गांव में एक ब्राह्मण अपनी पत्नी और बच्चों के साथ रहता था। उसकी जिंदगी में बहुत खुशी थी। उसके पास भगवान का दिया सब कुछ था - सुंदर पत्नी, होशियार बच्चे, खेत. जमीन, पैसे आदि। उसकी जमीन बेहद उपजाऊ थी। जिसमें वह जो चाहे फसल उगा सकता था, लेकिन एक समस्या थी कि वह बहुत ही ज्यादा आलसी था। कभी काम नहीं करता था। उसकी पत्नी उसे समझा-समझा कर थक गई कि अपने काम स्वयं करो, खेत पर जाओ लेकिन वह कभी काम नहीं करता।
वह कहता, "मैं कभी काम नहीं करूंगा।"
उसकी पत्नी उसके आलस से बड़ी परेशान रहती थी, लेकिन वह कुछ नहीं कर पाती थी। एक दिन एक साधु ब्राह्मण के घर आया और ब्राह्मण ने उसका खूब आदर सत्कार किया। साधु ब्राह्मण की सेवा से प्रसन्न हुआ और खुश होकर उससे कहा, "मैं तुम्हारे सम्मान व आदर से खुश हूं, तुम कोई वरदान मांगो।"
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ब्राह्मण को तो मुंह मांगी मुराद मिल गई।
उसने कहा, "बाबा ! कोई ऐसा वरदान दो कि मुझे खुद कोई काम न करना पड़े। आप मुझे कोई ऐसा आदमी दे दो जो मेरे सारे काम कर दिया करे।"
बाबा ने कहा, "ठीक है, ऐसा ही होगा, लेकिन ध्यान रहे, तुम्हारे पास इतना काम होना चाहिए कि तुम उसे हमेशा व्यस्त रख सको। "
यह कहकर बाबा चले गए और एक बड़ा सा राक्षसनुमा जिन्न प्रकट हुआ।
वह कहने लगा, "मालिक, मुझे कोई काम दो, मुझे काम चाहिए।"
ब्राह्मण उसे देखकर पहले तो डरा और सोचने लगा।
तभी जिन्न बोला, "जल्दी काम दो वरना मैं तुम्हें खा जाऊंगा। "
ब्राह्मण ने कहा, "जाओ जाकर खेत में पानी डालो।"
यह सुनकर जिन्न तुरंत गायब हो गया और ब्राह्मण ने राहत की सांस ली और अपनी पत्नी से पानी मांग करने लगा।
लेकिन कुछ ही देर में वापस आ गया और बोला, "सारा काम हो गया, अब और काम दो।
ब्राह्मण घबरा गया और बोला कि अब तुम आराम करो, बाकी काम कल करना।
जिन्न बोला, "नहीं मुझे काम चाहिए वरना मैं तुम्हें खा जाऊंगा। " ब्राह्मण सोचने लगा और बोला, "तो जाकर खेत जोत लो, इसमें तुम्हें पूरी रात लग जाएगी।"
जिन्न चला गया। आलसी ब्राह्मण सोचने लगा कि मैं तो बड़ा चतुर हूं। वह अब खाना खाने बैठ गया और अपनी पत्नी से बोला, "अब मुझे कोई काम नहीं करना पड़ेगा, अब तो जिंदगीभर का आराम हो गया। "
इतने में ही जिन्न वापस आ गया और बोला, "काम तो मेरा हो गया, जल्दी और काम दो वरना मैं तुम्हें खा जाऊंगा। "
ब्राह्मण सोचने लगा कि अब तो मेरे पास कोई काम नहीं बचा। अब क्या होगा ?
इसी बीच ब्राह्मण की पत्नी बोली, "सुनिए, मैं इसे कोई काम दे सकती हूं क्या?"
ब्राह्मण ने कहा - "दे तो सकती हो, लेकिन तुम क्या काम दोगी?"
पत्नी ने कहा - "आप चिंता मत करो। वह मैं देख लूंगी। "
वह जिन्न से बोली - "तुम बाहर जाकर हमारे कुत्ते मोती की पूंछ सीधी कर दो, लेकिन ध्यान रहे, पूंछ पूरी तरह से सीधी हो जानी चाहिए।"
जिन्न चला गया उसके जाते ही ब्राह्मण की पत्नी ने कहा, "देखा आपने कि आपका आलस कितना खतरनाक हो सकता है। पहले आपको काम करना पसंद नहीं था और अब आपको अपनी जान बचाने के लिए सोचना पड़ रहा है कि उसे क्या काम दें। "
ब्राह्मण को अपनी गलती का एहसास हुआ और वह बोला, "तुम सही कह रही हो। अब मैं कभी आलस नहीं करूंगा लेकिन मुझे इस बात का डर है कि इसे आगे क्या काम देंगे। यह तो मोती की पूंछ सीधी करके आता ही होगा। मुझे डर लग रहा है। अब तो हमारी जान पर बन आई है। यह हमें मार डालेगा।"
ब्राह्मण की पत्नी हंसने लगी और बोली, "डरने की बात नहीं, चिंता मत करो, वह कभी भी मोती की पूंछ सीधी नहीं कर पाएगा।"
वहां जिन्न लाख कोशिशों के बाद भी मोती की पूंछ सीधी नहीं कर पाया। पूँछ छोड़ने के बाद फिर टेढ़ी हो जाती थी. रात भर वह वही करता रहा।
ब्राह्मण की पत्नी ने कहा, "अब आप मुझसे वादा करो कि कभी आलस नहीं करोगे और अपना काम खुद करोगे।"
ब्राह्मण ने पत्नी से वादा किया और दोनों चैन से सो गए। अगली सुबह ब्राह्मण खेत जाने के लिए घर से निकला तो देखा कि जिन्न मोती की पूंछ ही सीधी कर रहा था।
उसने जिन्न को छेड़ते हुए पूछा, "क्या हुआ ? अब तक काम पूरा नहीं हुआ क्या ? जल्दी करो, मेरे पास तुम्हारे लिए और भी काम है। "
जिन्न बोला, "मालिक, मैं जल्दी काम पूरा कर लूंगा।
ब्राह्मण उसकी बात सुनकर हंसते-हंसते खेत पर काम करने चला गया और उसके बाद उसने आलस हमेशा के लिए त्याग दिया।
सीख - आलस्य मनुष्य का सबसे बड़ा दुश्मन है। अपनी मदद आप करने से ही कामयाबी मिलती है और आलस करने से जिंदगी में बड़ी मुसीबतें आ सकती हैं।
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